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Jai maa kaali jai maa tara sabhi ko subhoday सुलेमानी लाल पारी साधना  यह साधना जीवन में धन की कमी को दूर करती है और कार्य में आने वाली प्रत्येक बाधा को नष्ट कर देती है। इस साधना से आकस्मिक धन की प्राप्ति होकर जीवन सुखमय हो जाता है । इस परी में धन और जल तत्व प्रधान है, अत: यह सौन्दर्य के साथ समृद्धि का भी प्रतीक है। यह साधना किसी भी संक्रान्ति के पश्चात् आने वाले प्रथम शुक्रवार को आरम्भ करें । चमेली के तेल का दिया जलाकर, लाल सिंगरफ* से स्वयं के चारों ओर एक घेरा बना लें । जब साधना में बैठें, तो जब तक जप सम्पूर्ण न हो उस घेरे से बाहर न निकलें । चमेली और गुलाब पुष्प पास में रखें। यदि मंत्र जप के मध्य परी प्रकट होकर साधक के पास आकर बैठ जाये, तो तनिक भी विचलित न हों, मंत्र जप करते रहें । साधना पूर्ण होने पर ही परी पर पुष्प वर्षा करके मनचाहा वचन ले लें। धूप व लोबान जलाकर ही मंत्र जाप शुरू करें। चारों ओर इत्र का छिड़काव करें। सफेद वस्त्र धारण करें, लाल हकीक की माला से मंत्र जपें । पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठें। घुटनों के बल बैठकर भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। मंत्र इस प्रकार हैं- बिस्मिल्

सभी साधना और सिद्दी योका समूह




सुनयना किन्नरी साधना


यह किन्नरी बहुत ही सरल स्वभाव की है। अद्भुत सौन्दर्य की स्वामिनी यह सुनयना किन्नरी सरलता से प्रसन्न होने वाली है। इसकी साधना में कोई विशिष्ट यत्न नहीं करना पड़ता, मात्र शुद्ध चित्त व एकाग्रता ही पर्याप्त है।

इसकी साधना अमावस्या से पूर्णमासी तक करनी होती है। चौकी लगाकर लाल वस्त्र बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठ जायें। पहले गणेश पूजन करें और गुरु मंत्र का जाप कर लें। गाय के घी का दीप जलाएँ। दूध से बना मिष्ठान रखें। रूद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप

करें

मंत्र — ॐ सुनैना सुनयनाये नमः ॥ रात्रि १२ बजे के पश्चात् उपरोक्त मंत्र की ११ माला प्रतिदिन जप करें। अंतिम दिन सुनयना किन्नरी प्रकट होकर साधक को मनचाहा फल देती है। साधना को गुप्त रखने का दायित्व साधक का ही है ।


सुलेमानी लाल पारी साधना 



यह साधना जीवन में धन की कमी को दूर करती है और कार्य में आने वाली प्रत्येक बाधा को नष्ट कर देती है। इस साधना से आकस्मिक धन की प्राप्ति होकर जीवन सुखमय हो जाता है । इस परी में धन और जल तत्व प्रधान है, अत: यह सौन्दर्य के साथ समृद्धि का भी प्रतीक है।

यह साधना किसी भी संक्रान्ति के पश्चात् आने वाले प्रथम शुक्रवार को आरम्भ करें । चमेली के तेल का दिया जलाकर, लाल सिंगरफ* से स्वयं के चारों ओर एक घेरा बना लें । जब साधना में बैठें, तो जब तक जप सम्पूर्ण न हो उस घेरे से बाहर न निकलें । चमेली और गुलाब पुष्प पास में रखें। यदि मंत्र जप के मध्य परी प्रकट होकर साधक के पास आकर बैठ जाये, तो तनिक भी विचलित न हों, मंत्र जप करते रहें । साधना पूर्ण होने पर ही परी पर पुष्प वर्षा करके मनचाहा वचन ले लें। धूप व लोबान जलाकर ही मंत्र जाप शुरू करें। चारों ओर इत्र का छिड़काव करें। सफेद वस्त्र धारण करें, लाल हकीक की माला से मंत्र जपें । पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठें। घुटनों के बल बैठकर भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। मंत्र इस प्रकार हैं-

बिस्मिल्ला सुलेमान लाल परी हाथ पे धरी खावे चुरी निलावे कुज्ज हरी ॥

इस मंत्र की २१ माला जप करें। दूध से बनी मिठाई भी पास रखें, जो परी के प्रकट होने पर उसे अर्पण करें। यह साधना २१ दिन तक करें ।


(केवल मुस्लिम पद्दति में ही करने से सपलता मिलती है )


माता मदानण साधना

 
 
काम बड़े बड़े अनुष्ठान करने से सिद्ध नहीं होते वो मात्र देवी के दर्शनों से सिद्ध हो जाते है ! हमारे इस ग्रुप में कुछ ऐसे लोग है जो हर साधना पर लिखते है की यह मन्त्र उस किताब का है या यह मन्त्र उस ग्रन्थ का है, पर एक बात मै दावे से कह सकता हूँ मेरे गुरुदेव का दिया यह मन्त्र आपको किसी किताब में नहीं मिलेगा क्योंकि यह मन्त्र गुरु शिष्य प्रणाली से मिला है ! यह मन्त्र अब तक गुप्त था,पर कुछ गुरुभाइयों के मसानी माता से दुखी होने के कारण यह पोस्ट कर रहा हूँ ! पंजाब के लोग मेले में गीत गाते है !

|| मन्त्र ||
 
मदान चगान दी रानी
चौ कुंठा दी रानी
जरग खेड़े दी रानी कुराली खेड़े दी रानी
शांति सरूप हो माँ !
इस मन्त्र को धुप अगरवती जलाकर रात के समय हररोज २ घंटे जपे ! यह क्रिया ४१ दिन करे मन्त्र सिद्ध हो जायेगा ! पहले दिन और आखरी दिन दो लड्डू और एक अंडा उजाड़ स्थान में रख आये और पीछे मुड़कर न देखे ! प्रयोग के वक़्त नीम की टहनी से सात बार मन्त्र पढ़कर झाड़ दे और यदि भूत-प्रेत या मसानी आदि का प्रयोग हो तो एक अंडा और २ लडू उजाड़ स्थान में रख दे और माता से प्रार्थना करे सब ठीक हो जायेगा !


 कर्ण पिशाचिनी साधना




कर्ण पिशाचिनी साधना तंत्र से विजय शिवपुराण के अनुसार, प्रतिभा, श्रवण, वार्ता, दर्शन, आस्वाद और वेदना ये छः प्रकार की सिद्धियां ही उपसर्ग कहलाती हैं। इन्हें सिद्ध करने का माध्यम कर्ण पिशाचिनी साधना ही है। प्रथम प्रयोग - आत्मसिद्धि प्रयोग यह प्रयोग कर्ण पिशाचिनी से सम्बन्धित है। आम की लकड़ी से बने पट्टे पर गुलाल बिछाकर कर्ण पिशाचिनी यंत्र स्थापित करें, तथा अनार की कलम से रात को एक सौ आठ बार मंत्र लिख कर मिटाते जाएं, और लिखते समय मंत्र का उच्चारण भी करते जाएं। अन्त में काली माला से पंचोपचार पूजन करके इस मंत्र का 1100 बार उच्चारण करें, फिर उस पट्टे को अपने सिरहाने रखकर सो जाएं, इस प्रकार लगातार 21 दिन करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। साधक को चाहिए कि यह साधना होली, दीपावली, गुप्त या प्रकट नवरात्रि, नवमी या ग्रहण से प्रारंभ करके 21 दिन तक इसका प्रयोग करें। यह मंत्र खाट पर बैठकर भी लिख सकते हैं और अन्त में उस पट्टे को सिरहाने देकर उसी खाट पर सो सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि उस कमरे में उसके अलावा और कोई न सोए और जहां पर बैठ कर मंत्र लिखें, बिना उठे वहीं पर उसे सो जाना चाहिए। ।।ॐ नमः कर्णपिशाचिनी मत्तकरिणी प्रवेधे अतीतानवर्तमानानि सत्यं कथक मे स्वाहा ।। 



द्वितीय प्रयोग - वाणी सिद्धि प्रयोग इस प्रयोग में साधक को चाहिए, कि वह अपने सामने एक बाजोट पर काला वस्त्र बिछा कर उस पर ‘कर्ण पिशाचिनी यंत्र' स्थापित करें। इस मंत्र का नित्य पांच हजार जप ‘काली माला' से करें, इस प्रकार 21 दिन में यह मंत्र सिद्ध हो जाता है और उसे कान में सारे तथ्य स्पष्ट सुनाई देने लग जाते हैं। मंत्र ॥ॐ ह्रीं नमो भगवति कर्णपिशाचिनि चण्डवेगिनि वद वद स्वाहा।। 



तृतीय प्रयोग - दैवीय शक्ति प्रवेश सिद्धि साधना साधक को चाहिए, कि वह मिट्टी और गाय के गोबर से पृथ्वी को लीप कर उस पर बहुत सा कुश बिछा दें और कर्ण पिशाचिनी यंत्र का पंचोपचार पूजन कर काली माला से नित्य दस हजार बार मंत्र का जप करें। इस प्रकार 11 दिन तक साधना करने पर कर्ण पिशाचिनी सिद्ध हो जाती है। मंत्र ॥ॐ हंसो हंसः नमो भगवति कर्णपिशाचिनी चण्डदेगिनि स्वाहा 




चतुर्थ प्रयोग - भूतकाल जानकारी प्रयोग यह प्रयोग 11 दिन का है। इसमें कांसे की थाली में सिन्दूर से त्रिशूल बनाकर उस पर कर्ण पिशाचिनी यंत्र स्थापित करें, उसका पूजन करें और दिन में गाय के शुद्ध घी का दीपक जला कर, काली माला से 11 माला मंत्र जप करें, रात में भी इसी प्रकार त्रिशूल का पूजन कर घी और तेल, दोनों के दीपक जलाकर 11 माला मंत्र जप करें। इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करने पर कर्ण पिशाचिनी सिद्ध हो जाती हैं और उसे कान में
प्रश्न का उत्तर सही-सही देती रहती हैं। इसमें साधक को एक समय भोजन करना चाहिए और यथा सम्भव काले वस्त्र धारण करने चाहिए। साधना काल में व्यर्थ बातचीत न करें तथा ब्रह्मचर्य व्रत पालन आवश्यक है। मम नमः कर्ण पिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनि कर्णे अवतरावतर अतीतानागतवर्तमानि दर्शय दर्शय मम भविष्य कथय कथय ही कर्णपिशाचिनी स्वाहा ।। मंत्र 




पंचम प्रयोग - वशीकरण शक्ति प्रयोग यह प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, और कहते हैं, कि व्यास जी ने स्वयं इस मंत्र को सिद्ध कर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की थी। सर्वप्रथम आधी रात को अपने हृदय में कर्णपिशाचिनी देवी का ध्यान करके रक्त चंदन से एक कागज पर मंत्र लिखना चाहिए और उस पर कर्ण पिशाचिनी यंत्र को स्थापित कर, उसकी रक्त चंदन, लाल पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए तथा ॐ अमृतं कुरु कुरु स्वाहा इस मंत्र से यंत्र का और लिखे हुए मंत्र का शुद्धिकरण क्रिया करना चाहिए। इसके बाद काली माला से निम्न मंत्र का जप करना चाहिए। ॥ॐ कर्ण पिशाचिनी दग्धमीनबलिं गृहाण गृहाण मम सिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा।। इसके बाद रात्रि को पांच हजार मंत्र जप करना चाहिए तथा प्रातः काल तर्पण करना चाहिए। तर्पण निम्न मंत्र से किया जाता है। तंत्र साधना की आवश्यकता सबसे अधिक गृहस्थ साधक को ही होती है। चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष, गृहस्थ ही सबसे अधिक क्रियाशील होता है और वह अपने जीवन में निरन्तर एक से अधिक मंत्र क्षेत्रों में उन्नति करना चाहता है। इस हेतु उसे निश्चिन्त होकर गुरु आज्ञानुसार निरन्तर तंत्र साधना अवश्य करनी चाहिये| तंत्र केवल उपयोगी ही नहीं आवश्यक है क्योंकि शक्ति का जागरण तंत्र के माध्यम से ही संभव है। वास्तव र में तंत्र का दूसरा नाम शक्ति ही है। ॥ॐ कर्ण पिशाचिनी तर्पयामि स्वाहा।। इस प्रकार 1 लाख जप करना चाहिए और उसका दशांश होम करने के बाद फिर दशांश तर्पण करना चाहिए। ऐसा करने पर निश्चय ही सिद्धि प्राप्त होती है और कठिन से कठिन समस्या और गोपनीय भूतकाल भी उसे स्पष्ट दिखाई देता है। इसमें कोई दो राय नहीं, कि ऊपर जो प्रयोग बताए गए हैं, वे प्रामाणिक हैं। कई साधकों ने सिद्ध किये हैं और उन्हें तत्क्षण सफलता मिली है अतः इनके बारे में संदेह करना व्यर्थ है। प्रत्येक प्रयोग अलग-अलग है, प्रत्येक को सम्पन्न करने के पश्चात् यंत्र तथा माला नदी में प्रवाहित कर दें। कर्णपिशाचनी के इन प्रयोगों को किसी भी अमावस्या या शनिवार को सम्पन्न किया जा सकता है। प्रत्येक प्रयोग के लिये साधना सामग्री अलग प्रयोग करें।
                          व कर्ण पिशाचिनी यंत्र


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वार्ताली देवी साधना


यह एक अत्यन्त प्राचीन व दुर्लभ साधना है, जिसका पूर्ण विवरण पाठकों को कहीं भी एकत्रित रूप में उपलब्ध नहीं है। इस वार्ताली साधना का सही वैदिक स्वरूप यहाँ प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया। है।


भगवती वार्ताली का सीधा सम्बन्ध कुण्डलिनी देवी से है, जो सूक्ष्म शरीर के षट्चक्रों का नियन्त्रण करती हैं। इस साधना से साधक को ब्रह्मत्व की प्राप्ति हो जाती है। इसकी सिद्धि से दुःख, दरिद्रता का नाश होता है।


वार्ताली की साधना का विधान अत्यन्त दुर्लभ है। यह साधना त्रिकाल दिव्य दृष्टि प्रदान करने वाली है। इसकी सिद्धि से साधक त्रिकाल ज्ञान प्राप्त कर लेता है। जब साधक इस वार्ताली मंत्र की सिद्धि प्राप्त कर लेता है, तब देवी प्रसन्न होकर दर्शन देती है। वरदान स्वरूप वह साधक के हृदय में दिव्य प्रकाश पुञ्ज के रूप में समाहित हो जाती है। तब साधक का शरीर कुछ समय कंपायमान रहता है, तत्पश्चात् वह त्रिलोक ज्ञाता हो जाता है। इसके बाद जब कोई भी व्यक्ति साधक के समक्ष जाता है, तो वह देवी की कृपा से व्यक्ति का भूत, भविष्य और वर्तमान सरलता से बता देता है। वह जब चाहे, वार्ताली देवी से शक्ति वार्ता कर सकता है। इस साधना की वेदोक्त विधि इस प्रकार है


विधि—सर्वप्रथम एकान्त कक्ष में यह साधना आरम्भ करें। दो फुट लम्बी, दो फुट चौड़ी लकड़ी की चौकी स्थापित करें। उस पर लाल रंग का रेशमी वस्त्र बिछायें। उस पर चावल बिछाकर ताम्रपत्र पर बना वार्ताली यंत्र स्थापित करें। अब चौकी के चारों कोनों पर चार तेल के दीपक जला दें। यह साधना कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से आरम्भ करने का विधान है। लाल रंग का आसन बिछायें, साधक स्वयं भी लाल वस्त्र ही धारण करें। एक घी का अखण्ड दीपक अलग से जलायें। पहले पंचोपचार पूजन करें। गुरु पूजन, गणेश पूजन व वास्तु पूजन सम्पन्न करें। मन्त्र जप • हेतु लाल मूंगे की माला का ही प्रयोग करें। संकल्प और विनियोग विधि पूर्वक करें। उसके पश्चात् ऋष्यादि न्यास करें। ऋष्यादि न्यासपराम्बा ऋषये नमः शिरसित्रष्टुप छन्द से नमः मुखे त्रिकाल देवताभ्यो नमः हृदये ऐं बीजाय नमः गुह्ये ह्रीं शक्ति नमः नाभौ श्री कीलकाय नमः पादयो विनियोगाय नमः सर्वांगेकरन्यास


ॐ अंगुष्ठाभ्याम् नमः ऐं तर्जनीभ्याम् नमः ह्रीं मध्याभ्याम् नमः श्रीं अनामिकाभ्याम् नमः पंचकारस्य कनिष्ठकाभ्याम् नमः ह्रीं श्रीं करतल


ॐ ऐं कर पृष्ठभ्याम् नमः


षडंगन्यास


ॐ हृदयाय नमः ऐं शिरसे स्वाहा ह्रीं शिखाय फट् श्रीं कवचाय हूं पंचकारस्य नेत्रत्रायाय वौषट् ॐ ऐं ह्रीं श्रीं अस्त्राय फट् 


न्यासादि सम्पूर्ण करने के पश्चात् वार्ताली मंत्र का १६ माला जप


- मंत्र — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं पंच कारस्य स्वाहा 

कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक यह साधना करनी है। यह मंत्र जाप पूर्व दिशा की ओर मुख करके दाहिने हाथ की मध्यमा और अंगूठे के अग्र भाग से करें। मंत्र उच्चारण शुद्ध व स्पष्ट स्वर से करें। जप करते समय दाहिने ओर ताम्र जल कलश भी स्थापित करें। साधना सम्पन्न होने पर वार्ताली देवी प्रतिबिम्ब के रूप में प्रकट होकर साधक के हृदय में बिन्दु रूप में समा जाती है। जिससे साधक के चारों ओर एक दिव्य प्रकाश पुञ्ज बन जाता है।


साधना पूर्ण होने के पश्चात् वार्ताली यंत्र को साधक दाहिनी भुजा पर धारण कर ले। सिद्धि के पश्चात् साधक तीनों लोक में घट रही किसी भी घटना को चलचित्र की भाँति देखने में समर्थ हो जाता है, वह त्रिकाल दर्शी हो जाता है।


उपरोक्त साधना में वैदिक विधि के साथ सूक्ष्म तंत्रोक्त विधान का भी तीव्र प्रभाव हेतु समावेश किया गया है। आशा है साधक जन इससे विशेष लाभान्वित होंगे।


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हत्था जोड़ी पौधे की जड़ 

वास्तु के हिसाब से हत्था जोड़ी एक बहुत ही मान्यता प्राप्त पौधा माना जाता है. शास्त्रों में इसे माँ काली और कमाख्या देवी का रूप माना जाता है. इसके जड़ को अपने घर में या ऑफिस में रखने से आपको हर परेशानियों से छुटकारा मिलता है. साथ ही आपको घर में और कारोबार में तरक्की मिलती है. इस पौधे की जड़ किसी पक्षी के पंजों की ही तरह दिखाई देते है. 

इसका लाभ 

  1. वास्तु के अनुसार जो लोग कंगाली या आर्थिक तंगी से जूझ रहे होते है. उन्हें इस पौधे की जड़ को घर में रखना चाहिए. इसके प्रभाव से घर माँ लक्ष्मी की कृपा बरसने लगती है. जिससे आपको धनलाभ होता है. 
  2. हत्था जोड़ी के प्रभाव से घर में से पैसों की समस्या खत्म हो जाती है. आपके घर में व्याप्त आर्थिक तंगी पूरी तरह से खत्म हो जाती है. 
  3. आर्थिक परेशानियों को खत्म करने वाले उपायों में से हत्था जोड़ी का इस्तेमाल से बेहतर उपाय माना जाता है. 
  4. अगर व्यापार ठप पड़ा हो या धंधे में लाभ नहीं हो रहा है. तो ऐसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आपको हत्था जोड़ी के इस जड़ को अपने घर और ऑफिस में रखने से लाभ होता है. 
  5. हत्था जोड़ी को कहीं भी रखने से पहले इसे सिंदूर में रखना चाहिए क्योंकि इससे इसका प्रभाव तेज हो जाता है. साथ ही लाभ जल्दी होने लगता है.

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सियार सिंगी




1. सियार सिंगी घर में रखने से धन का आगमन धन का बचत और व्यक्ति की इच्छाये धीरे धीरे अपने आप पूरी होने लगती है।
2. सियार सिंघी व्यापार या नौकरी में उनती करने लिए बहुत लाभदायक है
3. कई बार ईर्ष्या के कारण कुछ लोग तंत्र प्रयोग कर देते हैं जिससे दूकान में ग्राहक नहीं आते यां कार्य सफल नहीं होते. ऐसे में सियार सिंघी जरूर रखे इन परस्थितियों में इनका प्रयोग राम बाण की तरह है
4. जिस व्यक्ति के पास यह होती है l उसे किसी बात कि कमी नहीं होती l
5. इसे घर में रखने से सकारात्मक उर्जा का अनुभव होता है !
6. यदि इसे हाथा जोड़ी के साथ रखा जाए तो यह बहुत शक्तिशाली हो जाती है l और धन-सम्पति, वशीकरण, शत्रु शमन मे व्यक्ति सशक्त हो जाता है l
7. मारकेश दशा (कुंडली में स्थित मृत्यु कारक ग्रह की दशा, जिस दौरान मृत्यु की संभावना सबसे अधिक होती है) चल रही हो तो सियार सिंगी सदैव पास में रखे l
8. अगर प्रेमी यां प्रेमिका का मन बदल गया हो , कोई अधिकारी आपके विरोध में कार्य कर रहा हो, परिवार में कोई सदस्य गलत रास्ते पर जा रहा हो तो सियार सिंघी से वशीकरण प्रयोग करके उसका मन बदला जा सकता है.पति- पत्नी में अगर कलह रहती हो तो वशीकरण से आपस में विवाद ख़तम किये जा सकते हैं . इस प्रयोग को आजमाने के लिए नहीं करना चाहिए. जब कोई और चारा ना बचे तब इसको करें .
9. क्या आपको हमेशा अजीब सा डर सताता रहता है। कभी अपने दुश्मनों का तो कभी किसी अंजान शक्ति का। या फिर ऐसा लगता है कि आपके दुश्मन आपका बुरा करने में लगे हैं और आप कुछ भी नहीं कर पा रहे। ऐसे लोग इस विषय में सोचते-सोचते काफी हद तक मानसिक रूप से कमजोर भी हो जाते हैं। यदि आपके साथ भी यही समस्या है तो सियार सिंगी का प्रयोग करें
10. यदि आप लगातार कर्जों से परेशान हों या व्यवसाय में बाधा आ रही हो, या किसी भी प्रकार आय में वृद्धि नहीं हो पा रही हो, तो एक सियार सिंगी एक चांदी या स्टील की डिब्बी में रख लें व प्रत्येक पुष्य नक्षत्र में सिंदूर चढ़ाते रहें। ऐसा करने से आप की उपर्युक्त सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी व शीघ्र ही फल की प्राप्ति होगी। और व्यवसाय बढ़ने लगेगा , अगर नौकरी में है तो तरकी का मार्ग बनेगा।


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तंत्र बंदन कोलने की विधि


इस मंत्र से किसी के घर के बंधन को खोलना , किसी की दुकान व्यापार प्रतिष्ठान को बंधन मुक्त करना , किसी मनुष्य को किसी ने मंत्र द्वारा कुछ बंधन कर रखा हो  तो उसे हटाया जा सकता है।

इस मंत्र के प्रभाव से बंधन खोलकर दुकान व्यवसाय को खोला जाता है ताकि वो फिर से पहले की भाति चलने लगे।

दिन -  पूर्णिमा अथवा अमावस्या।

दिन जाप - 3 से 11 दिन।

समय - रात 1 बजे से।

वस्त्र - सफेद।

आसन - लाल।

माला -   रुद्राक्ष।

जाप -  1 माला। 

दिशा - उत्तर मुख।

पूजन - पंचोपचार।

पूजन - गुरू , गुरू गोरख नाथ , गुरू मछेन्द्रनाथ
(नित्य का पूजन साधना से पहले अलग से कर लें ) 

भोग - बूंदी का लड्डू

साधना विधान

मंत्र को किसी भी, पूर्णिमा , अमावस्या से सुरू करके उत्तर मुख होकर 1 माला का 3  दिन तक  जाप करने से मंत्र सिद्ध हो जायेगा अधिक प्रभाव के लिये 11 दिन तक जाप करें। 

मंत्र को अधिक प्रभावी बनाने के लिये अधिक माला का जाप भी किया जा सकता है।

गुरू , गुरू गोरख नाथ , गुरू मछेन्द्रनाथ का पंचोपचार  पूजन दें।

माला रूद्राक्ष की लें।
आसन लाल लें। 
भोग लड्डू का लगा देना।

रात्रिकाल दस के बाद जाप  कर सकते है।

अल खोलू बल खोलू, जल खोलू थल खोलू
धरती आकाश खोलू, चलता हुया योगी खोलू
घर व्यापार खोलू, गद्दी बैठा बनिया खोलू
जो इतना ना खुलें तो, गुरू गोरख नाथ लाजे
मेरा खोला ना खुले तो, गुरू मछेन्द्रनाथ लाजे
काज व्यापार चले, ना चले तो
शिव की लटा टूटभूमि पे परें
शब्द साचॉ पिंड कॉचा फुरै मंत्र ईश्वरो वाचा
सत नाम आदेश गुरू का।

प्रयोग विधि

किसी शनिवार या मंगल को ये प्रयोग करना ज्यादा ठीक है।

मंत्र सिद्ध करने के बाद किसी के घर दुकान के बंधन खोलने हो तो दुकान के मालिक के साथ जाकर सुबह मे दुकान खोले।

मंत्र से काली साबुत उडद को 21 बार अभिमंत्रित करके सबसे पहले दरवाजे पर मारे फिर घर या दुकान मे चारो ओर मारे याद रखे छिटकने नही है तेज मारने है।

फिर पीली सरसो काली सरसो अभिमंत्रित करके मारे।

फिर एक कटोरी में गंगाजल लेकर मंत्र से अभिमंत्रित करें और पूरे घर या दुकान मे छिटके।

बस आपका बंधन हट जायेगा
और फिर से वही रौनक आजायेगी जो पहले थी।

इसके बाद सुरक्षा मंत्रो से घर दुकान कीलित किया जाता है ताकि फिर कोई ना  बंधन हो सके।

हर शनिवार अमावस्या ये उडद पढकर मारते रहे ताकि कोई नयी बाधा हो तो वो हट जाये।

ये प्रयोग केवल मंत्र द्वारा किये गये बंधन या टोटको या तंत्र की क्रिया द्वारा किये गये बंधन को खोल देता है काट देता है।

यदि किसी ने कोई दैवीय शक्ति जैसे भूत प्रेत मसान आदि को छोड रखा है तो वहॉ ये मंत्र काम नही करता ये याद रखे

इसके लिये पहले उस शक्ति को वहॉ से हटाना है

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पासू पक्षियोके लिए ..


 घर मे पाले गये पशुओं के लिए झाडा

।।ॐ नमो सत्य नाम आदेश गुरु को, नजर जहाँ पर पीर ना जानी, बोले छल सों अमृत बानी, कहीं नजर कहा सो आई, यदि कि ठौर तोहि कौन बताई, कोन जात तेरी का डाम, किसकी बेटी कहो तेरो नाम, कहाँ से उडी कहा को जाना, अब ही बस कर ले तेरी माया, मेरी बात सुनो चित्त लगाय, जैसी हो सुनाऊ आप बेलन तमोलन, चुहडी चमारी, कायथनी खतरानी, कुम्हारी, महतरानी, राग की रानी, जाको दोष ताहि के सिर पर पड़ें, हनुमन्त बीर नजर से रक्षा करें, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।।



 कंडे की राख को दाये हाथ में   लेकर ,एक बार मंत्र पढ़कर एक बार फूंक मारें ऐसे ही 11 बार मंत्र पढ़कर 11 फूंक मरना है

 और जिस को नजर लगा होगा जिसने दूध देना बंद कर दिया होगा जो बुखार या ताप रही होगी जो खाना पीना खाना बंद कर दिया होगा

 उनको आप उतारा कर बहते पानी मे फेंक दे और उसको ताबीज मे 5 कोडी मे इस मंत्र को सिद्ध करके कोड़ी मे थोड़ा-थोड़ा छेद करके उसको लाल रेशमीधागे में पिरो कर एक लोहे का छल्ला मे इसी मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित कर पहना दे।



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काल कलवा वशीकरण

 काला कलवा वशीकरण मंत्र के बारे में किस प्रकार हम काले कन्वे द्वारा वशीकरण कर सकते हैं बाकी वशीकरण मंत्र ओके तुलना में काला कलवा वशीकरण मंत्र बहुत ही तेज गति से कार्य करता है और मुश्किल से इसकी काट होती है तो जानते हैं अभी उसके विधि के बारे में यह साधना आपकी रहेगी पूरे 8 दिन की 7 दिन आपका जब होगा और आठवें दिन आपको इससे एक माला का हवन करना होगा तो आपको इस साधना में करने के लिए आपको सामग्री लगेगी एक लौंग का जोड़ा पंचमेवा या पाया प्राची प्रकार की मिठाई कुछ फुल पंच अगरबत्ती और घी का दीपक आप के आसान आसान रहेगा काला वस्त्र काले रह गए और माला आप रुद्राक्ष के लिए सकते समय रहेगा आपका साधना का रात के 10:00 बजे के बाद 10:00 बजे के बाद आप योग साधना शुरू कर सकती हो आपको प्रतिदिन एक माला निकालने और जप करने से पहले आपको धूनी गोबर के कंडे पर जलानी है और गूगल उस पर डालना जब तक आपका जब चलेगा तब तक आपको धोनी जलाए रखनी है पहले और सातवें दिन आपको लौंग का जोड़ा पंचमेवा और पांच प्रकार की मिठाई यह आपको जब करते वक्त सामने रखने और दूसरे दिन सुबह किसी एकांत स्थान या निर्णय आपको रहने और खाने के बाद पीछे मुड़कर बिल्कुल नहीं देखना है रात के दिन आपको इसी मंत्र से 108 बार आहुति देकर हवन करना है मैं आप पांच प्रकार की मिठाई और हवन सामग्री और 1 किलो का जोड़ा आप को दे देना है करते वक्त आपको घी का दीपक आपके सामने जलाकर रखना है मंत्र इस प्रकार  मेरे प्रिय साधक मंत्र व शक्तिशाली और शाबर मंत्र साबर मंत्र वैसे भी बहुत तेज गति से काम करते प्रदेश के प्रयोग के बारे में आप कोई भी मिठाई पर 21 बार मंत्र अभिमंत्रित करके शिक्षित व्यक्ति को आप को खिला देना है वह भी आपको एक ही दिन में आपको आपके बस में हो जाएगा और आपका हर बात मानेगा खाकर आप अगर सफेद मिठाई लेते हो तो आपको बहुत जल्दी आकर में देखने को मिलेगा 4 या 5 घंटे में आपको इस मंत्र का असर देखने को मिलेगा अगर आप खिला नहीं सकते हो तो सिर्फ आपको उसकी फोटो की जरूरत पड़ेगी आपको मंत्र सिद्धि के बाद 3 दिन का संकल्प लेकर जाप करना होगा उसके लिए आपको फोटो आपको आपके सामने रखना होगा दीपक जलाना होगा 5 अगरबत्ती आपको आपके सामने जलाने होगी 3 दिन का आपका संकल्प रहेगा और आपको 3 दिन 11 माला या ज्यादा भी जाप किया तो भी कोई दिक्कत नहीं है इतनी जल्दी आपको असर देखने को मिलेगा यह किया तीन माला अपने ही साधक अपनी इच्छा अनुसार जब कर सकता है और संकल्प ले सकता है 3 दिन जब के बाद भी आपको साथ पांचवे या सातवें दिन असर देखने को मिलेगा अगर वह भी आपसे दूर है तो वह आपको खुद संपर्क करने की कोशिश करेगा और वह आपके पास फिर से लौट आएगा


मंत्र : काला कलवा चौसठ फिर मेरा कलवा मारा तीर जहां को भेजूं वह आ जाए मांस मच्छी को व न जाए अपना मारा आप ही खाए झलक बांध मारो उलट मत मारो मार मार कलवा तेरी आज चार चौमुखा दिया ना बाती जा मारो वही की छाती इतना काम मेरा न करे तो तुझे अपनी मां का दूध पिया हराम है


मोहिनी मन्त्र


रही ओल में बसी कुल में कुल का बास ला मेरे पास सात वरण का फूल ला मेरे पास सात सखी को मोह के ला और की मोहिनी छूट जाये मेरी मोहिनी न छूटे हो जा पत्थर की रेख मेरी आन ईश्वर गौरा पार्वती महादेव की दुहाई।।


विधि-उपरोक्त मन्त्र से उल्लू के कलेजा को इक्कीस बार अभिमन्त्रित कर जिस किसी स्त्री-पुरुष को खिला दें, वह खाने वाला व्यक्ति खिलाने वाले को दिलोजान से चाहने लगेगा और खिलाने वाला उससे जैसा कहेगा करेगा। उपरोक्त मन्त्र भी शीघ्र ही असर बताता है। यह अनुभूत एवं परीक्षित है।



वशीकरण मन्त्र- 



ॐ नमो किस पर कामनी अमुकी विशायमान हूं फट् स्वाहा ।

अमुक की जग जिसको वश में करना है उनका नाम

 विधि-तांबे की पुतली लेकर इसका पूजन करे और मौन रहकर हर रोज एक सो जाप २१ दिन तक करके पुतली के सामने कुछ फूल लेकर जिस आदमी पर डाले वो फौरन वश में हो ।

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मनोकामना पूर्ति हेतु मंत्र

मन्त्र – ओं नमो भूतनाथाय नमः मम सर्व सिद्धिं देहि देहि, श्री क्लीं स्वाहा ।

 विधि — यह प्रयोग गोपनीय है इसे सिद्ध करने पर व्यक्ति जीवन में जो कुछ भी चाहता है वह पूरा होता है। किसी प्रकार का कोई अभाव इस मन्त्र से नहीं रहता । इस मन्त्र से लक्ष्मी प्रगट होती है ।
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भ्रमरी साधना


मन्त्र — ॐ नमो भ्रामरी जगतानामधीश्वरी


भ्रामर्ये नमः । - - अनुष्ठान - प्रतिपदा कृष्णपक्ष से आरम्भ कर अमावस्या तक शिवालय के लाल रंग की पूजा सामग्री से भ्रामरी देवी की पूजा कर खीर, पूड़ी, मोतीचूर का भोग लगाए । नौ कन्याएँ रोज अमावस तक खिलाएँ (ब्राह्मण कन्याएँ) नित्य दक्षिणा देवे । फिर रात्रि में वहीं बैठकर ५,००० जप करे। अमावस्या तक देवी की कृपा प्राप्त हो जाती है । इसका आभास स्वयं साधक को होता है ।


फल – शत्रुओं पर विजय, जीवन का भटकाव समाप्त हो एक दिशा मिले, लाभ के अवसर मिलें, समाज में सम्मान और धन मिले। परन्तु किसी भी स्त्री का अपमान न करे अन्यथा कष्ट होगा।

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भद्रिका साधना


- मन्त्र — ॐ भद्रिके भद्रं देहि देहि, अभद्रं दूरी कुरु ते नमः ।

 अनुष्ठान - शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से पूर्णमासी तक अपने घर में श्वेत पूजन सामग्री तथा खीर पूरी से देवी की त्रिकाल पूजा करे ११ ब्राह्मण कन्याएँ नित्य जिमावे, दक्षिणा देवे। फिर प्रातः प्रातः ५,००० जप करे। क्रोध न करे। स्त्रियों को दुःख न दे। उनका मान करे। भूमि पर शयन करे। पूजन षोडशोपचार ही करे तो पूर्णमासी तक निश्चय ही कृपा होय। क्या कृपा होय? यह केवल साधक जान सकता है ?


फल - इनकी कृपा से जीवन के सारे अमंगल धीरे-धीरे दूर -होते जाते हैं और शुभ ही शुभ आते जाते हैं। देवी सदैव पूजा करते रहने से, एक माला जप करते रहने से हमेशा सहायता करती है ।



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धन –

 अगर आप यह निश्चित करना चाहते हैं कि ‘अमुक' स्थान पर गड़ा धन है या नहीं? तब गर्मी के दिनों में पिसे नमक की एक बारीक परत वहाँ बिछा दें। कुछ समय के बाद अगर उस नमक पर नमी आ जावे, तब आप यह समझ लें कि वहाँ कुछ न कुछ धन गड़ा है। उसे खोजने के लिए किसी अनुभवी व्यक्ति की सेवायें प्राप्त करें।

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डूबा धन प्राप्त करने के लिये 

अगर किसी दुष्ट बेईमान व्यक्ति ने आपका धन धोखे से हड़प लिया है तब आप चितकबरी कौड़ी शनिवार के दिन उस व्यक्ति के दरवाजे पर गुप्त रूप से रख दें। डूबा या मारा गया धन मिलने की पूरी-पूरी सम्भावना है।

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विदेश व्यापारी–

विदेश से अपने व्यापारिक सम्बन्ध रखने वाले व्यवसायी गुप्त रूप से चाँदी पर उत्कीर्ण ' श्री यन्त्र’ अपने पास रखें। व्यापार सदैव उन्नति करेगा और विदेश में धन भी नहीं डूबेगा । ‘श्री यन्त्र’ तन्त्रोक्त विधि से अभिमन्त्रित होना चाहिए अन्यथा लाभ होने की सम्भावना धूमिल है।

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– व्यापारिक यात्रा – 

किसी भी प्रकार की व्यापारिक यात्रा पर जाने से पूर्व अगर आप यह क्रिया कर लेते हैं, तब सफलता की सम्भावना अधिक रहेगी।


यात्रा पर जाने से पूर्व आप सर्वप्रथम एक लोटा जल घर के मुख्य द्वार पर खड़े होकर बाहर फेंक दें, इसके बाद आप मीठी दही खाकर यात्रा पर निकल पड़ें। इस साधारण से टोटके के बाद आपकी यात्रा, सकुशल आनन्ददायक एवं सिद्धिदायक होगी।

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शत्रुता शमन हेतु–

किसी भी रविवार को ‘गुन्जा' लाकर रख लें। जब भी कोई कुंवारी कन्या प्रथम बार रजस्वला हो उसके रक्त में (माहवारी का रक्त लें) इस कल्प को भिगो लें। इसके बाद छाँव में सुखा लें अब इसको पीसकर बारीक चूर्ण कर लें। इस चूर्ण को दुश्मन के घर, दुकान के मुख्य द्वार पर रेखा रूप में छिड़क दें। कुछ समय के बाद वह स्वयं ही स्थान छोड़कर भाग जायेगा ।

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पित्र दोष दूर करने और उनकी समपत्ति हासिल करने

अपने पूर्वजों की सम्पत्ति प्राप्त करने के लिए आप एक सफेद कौड़ी लेकर उसे पीसकर बारीक पाउडर बना लें और उस पाउडर को उस स्थान पर छिड़क दें जहाँ से सम्पत्ति  मिलनी है। यह क्रिया केवल शनिवार या रविवार को ही करें।  



पितृदोष पितृदोष क्या होता है ?


अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया जाए या किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो व्यक्ति से जुड़े परिवार की कई पीढ़ियों को तक पितृदोष का दंश झेलना पड़ता है। इसके लक्षणों से मुक्ति के लिए जीवन भर उपाय करने की जरूरत होती है।


पितृ दोष के लक्षण :


1. संतान न होना, संतान हो तो विकलांग, मंदबुद्धि या चरित्रहीन अथवा होकर मर जाना।


2. नौकरी, व्यवसाय में हानि, बरकत न हो। 3. परिवार में एकता न होना, अशांति हो।


4. घर के सदस्यों में एक या अधिक लोगों का अस्वस्थ होना, इलाज करवाने पर ठीक न होना।


5. घर के युवक-युवतियों के विवाह में रूकावट आना।


6. अपनों के जरिए धोखा मिलना।


7. दुर्घटनादि होना, उनकी पुनरावृत्ति होना। 8. मांगलिक कार्यों में विघ्न होना।


9. परिवार के सदस्यों में किसी को प्रेत-बाधा होना इत्यादि । 10. घर में हमेशा तनाव और कलेश रहना।


पितृ दोष के कारण 1. पितरों का विधिवत् संस्कार, श्राद्ध न होना। 2. पितरों की विस्मृति या अपमान । 3. धर्म विरुद्ध आचरण। 4. वृक्ष, फल लदे, पीपल, वट इत्यादि कटवाना।


श्रीजी की चरण सेवा बनना। 5. नाग की हत्या करना, कराना या उसकी मृत्यु का कारण


6. गौहत्या या गौ का अपमान करना। 7. नदी, कूप, तड़ाग या पवित्र स्थान पर मल-मूत्र विसर्जन। 8. कुल देवता, देवी, इत्यादि का अपमान करना। 9. पवित्र स्थल पर गलत कार्य करना। 10. पूर्णिमा, अमावस्या या पवित्र तिथि को संभोग करना या पूज्य स्त्री के साथ सम्बन्ध बनाना।


पितृ दोष के उपाय


1. श्राद्ध पक्ष में तर्पण, श्राद्ध इत्यादि करें।


2. पंचमी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा को पितरों के निमित्त दान इत्यादि करें।


3. घर में भगवत गीता पाठ विशेषकर 07 वें अध्याय का पाठ नित्य करें।


4. पीपल की पूजा, उसमें मीठा जल तथा तेल का दीपक नित्य लगाएं। परिक्रमा करें।


5. हनुमान बाहुक का पाठ, रुद्राभिषेक, देवी पाठ नित्य करें। 6. श्रीमद्भागवत के मूल पाठ घर में श्राद्धपक्ष में या सुविधानुसार करवाएं।


7. गाय को हरा चारा, पक्षियों को सप्त धान्य, कुत्तों को रोटी, चींटियों को चारा नित्य डालें।


8. ब्राह्मण कन्या भोज करवाएं।


9. सूर्य को नियमित रूप से तांबे के पात्र से जल चढ़ाएं। 10. हर रविवार को घर में परिवार के सभी लोग गायत्री मंत्र से यज्ञ करें

2 nd upay 


pitro ki kripa prapt karneka asan tarik esse apke pitra bi kush ho jaate hai aur dhan sukh vaibhav ka bi agaman hota hai 

1.subha jaldi utke ghar aur angan ko ache se pani se dole 
2.pratamik pujan jo roj karte hai wo karle 
3 . Jinke ghar ne bujurg ya jo bade hote hai unse ye kriya karana hai
4. Pitro ko jo est bojan hai wo banale 
5. Wo bhojan apke angan ya ekanath me jaha mahol acha hai wah rak de aur dakshin muk karke pani leke bait jaye 
6. Aur pitroko dill se pukare ap ke liye ye bhojan laaye hai aur enhe swikar kare 
7. Aur apki kripa drusti humpe banayi rakhe 
8 aur anjane jane me bhool hogayi hote ksama yachana kare
9.aur unse ashirwad ki yachana kare 
10 uske baad kisi kavve ko ya kutte ko yar gaay ko jo apko acha lage unko kila dena hai aur app bi thoda bahut kaa lena hai 
11.bus yaha kriya 15 din karnese apke sab kaam banna suru ho jayenge

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बचत हेतु बरकत न होने पर

- अगर आप यह अनुभव करते हैं कि पैसे का आवागमन तो होता है, लेकिन रुकता नहीं है तब आप अपने गल्ले की तिजोरी में लाल चन्दन का पाउडर डाल दें। इस प्रयोग से धन संचय प्रारम्भ हो जायेगा। यह प्रयोग केवल मंगलवार के दिन मंगल की होरा में ही करे


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 स्वप्न साधना


सामान्य तौर पर सभी की आध्यात्मिक ऊर्जा सुप्तमन्त्र मस्तिष्क में स्थिति हुआ करती है। कतिपय श्रेष्ठ साधक ही इसे जगाकर स्वयं सदा जागृत बने रहते हैं किन्तु सामान्यजन के लिए अपना भविष्य और जीवन के शुभ-अशुभ की जानकारी के लिए स्वप्न एक बहुत महत्त्वपूर्ण विधा है।


- महत्त्व - निश्चय ही जिन्हें इसका ज्ञान अथवा अनुभव नहीं हुआ है, वे विश्वास नहीं कर पाते किन्तु अब अध्यात्म में रुचि रखने वाले पवित्र मन, बुद्धि और संयमपूर्ण आचरण वाले लोग जानने लगे हैं कि स्वप्न कितने महत्त्वपूर्ण और सशक्त उपाय हैं भविष्य ज्ञान का । स्वप्न मन्त्रों के माध्यम से देखे जा सकते हैं किन्तु कई बार उनकी भाषा समझना थोड़ा मुश्किल होता है। अतः स्वप्न देखने के बाद यदि समझ न आया हो तो अपने गुरु अथवा किसी योग्य ब्राह्मण से पूछना चाहिए। स्वप्न के लिए कुछ विश्वसनीय मन्त्र और उनके विधान यहाँ प्रस्तुत हैं—


गणेश स्वप्न साधना


परिचय - स्वप्नों के कथनकर्ताओं में भगवान् गणपति का अद्वितीय स्थान है किन्तु इनसे स्वप्न में हाल जानने के लिए चतुर्थी से अमावस्या तक लगातार इनकी उपासना करनी पड़ती है। इसके बाद भगवान् रहस्यमयी प्राचीन तन्त्र विद्याएँ *


गणेश किसी भी दिन उपासना करने पर स्वप्न में भविष्य कथन करने लगते हैं किन्तु ऐसे साधक को दूसरे को मनसा-वाचा-कर्मणा किसी प्रकार से कष्ट नहीं पहुँचाना चाहिए अन्यथा स्वयं को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है। - अनुष्ठान विधि - एकान्त शयनकक्ष में सायंकाल स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके गणेश जी की पीतल की मूर्ति की जल, पुष्प, चावल, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, आरती, दक्षिणा, वस्त्र आदि से पूजा निम्न मन्त्र से करे । मूर्ति पूर्व दिशा में पश्चिमाभिमुख रखें।


मन्त्र — ॐ त्रिजट लम्बोदर कथय कथय नमस्तुभ्यम् ।


 अनुष्ठान - फिर वहीं जमीन पर शुद्ध आसन पर बैठकर ५ माला जप नित्यप्रति करके पश्चिम की ओर पैर करके, सिरहाने की तरफ गणेश जी को काठ की चौकी पर स्थापित करके बायीं करवट सो जाएँ। अमावस्या तक में गणेश जी स्वप्न देना आरम्भ कर देते हैं। इसके बाद आवश्यकतानुसार कभी एक दिवसीय अनुष्ठान करके स्वप्न में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। प्रातः काल मिठाई प्रसाद ११ वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बाँट दें।


शिव स्वप्न साधना


मन्त्र — ॐ हिलि हिलि शूलपाणये नमः । -


- अनुष्ठान - उक्त मन्त्र से शिवमूर्ति की पूजा सायंकाल स्नानादि करके करे फिर रात्रि में एकान्त स्थान में सोने की व्यवस्था करे और सोने से पूर्व, उत्तर का ध्यान शिव का कर ३३ माला जप ११ दिन तक करे धूपदीप जलता रहे। फिर उत्तर को पैर कर, जमीन पर ही बायीं करवट सोये । ११ वें दिन स्वयं स्वप्न में सिद्धि का पता लग जाएगा। यदि न हुई हो तो अनुष्ठान २१ अथवा ३१ दिन तक करता रहे। सिद्धि मिलने पर ११ माला जप करके प्रश्न पूछकर शिवजी का ध्यान करके बायीं करवट सो जायें, उत्तर अवश्य मिलता है।



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 रोजी प्राप्ति के लिए मंत्र


ॐ काली कंकाली महाकाली भरे समुन्दर पवि प्याली चार बीर भैरव चौरासो तब तो पूजू पान मिठाई अब बोलू काली दुहाई ।


विधि :- नित्य स्नान करके इस मन्त्र को ७ दिन ४८ बार पूर्व मुख होकर जपे तो रोजगार में बहुत नफा होवे इस मन्त्र का वर्णन शंकर जी ने अपने मुख से किया है। ऐसा कहा जाता है।

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रोजी प्राप्त करने का मन्त्र 2


मन्त्र - ओं नमो नगन चीटि महाबीर,हूं पूरी तोरी आश, तू पूरो मोरी आश ।


विधि - भुने हुए चावल एक सेर, पाव भर शक्कर, आधा पाव घी, इन सब चीजों को मिलाकर प्रातः काल सुबह के समय नहाकर जहाँ चींटी का बिल हो, चीटियों के निवास पर जाकर वहाँ मन्त्र पढ़ते हुए चींटियों के बिल के पास थोड़ी-थोड़ी सामग्री डालते जायें इस प्रकार ४० दिन करने से तुरन्त रोजगार

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हनुमान जी की सवारी मंत्र


ॐ हनुमान बारह वर्ष का जवान हाथ में लड्डू मुख में लड्डू पवनहु कुमार आओ बाबा हनुमान दोहाई महादेव गौरा पार्वती की शब्द साँचा फुरो मंत्र, ईश्वरो वाचा ।

विधि :- महीने में पहले मंगल को व्रत करके लाल कपड़े पहिन के मूंगे की माला से जपे और धूप दीप हनुमान के घर पवित्र स्थान में बैठकर तेल, सिन्दूर, व गुड़ और गेहूं का चूरमा सवा सेर करके भोग लगावे और उसमें आप भी खावे और जब इस मन्त्र को ११००० जपे तो सिद्ध तो होवे मंगल को करता रहे सर्व सुख देने वाला राम मन्त्र है जो सब सुख देने वाला है ।


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योगिनी साधना


योगिनी साधना सांसारिक सुखों की प्राप्ति और योग प्राप्ति के लिए एक सम्पूर्ण साधना मानी गई है। यद्यपि योगिनी साधना बहुत कठिन नहीं है फिर भी जरा सी भी चूक हो जाने योगिनियाँ यदि कुपित हो गईं तो अनिष्ट भी बहुत बुरी तरह से करती हैं । वे माता, बहिन, पत्नी, पुत्री के रूप में सिद्ध हो जाती हैं और साधक की सदैव सहायता करती रहती हैं परन्तु योगिनीसाधक सुख चाहे तो केवल एक योगिनी साधना करे ।


योगिनियों के प्रकार - 

योगिनियाँ कई प्रकार की एक तो वे जो ज्योतिष के अनुसार जातक की दशा बदलती हैं। दूसरी योगिनियाँ वे हैं जो महाविद्याओं के साथ निवास करती हैं। तीसरी वे जो साधना करते-करते शरीर त्याग देती हैं और साधना पूर्ण नहीं कर पातीं अथवा जिनकी साधना पूर्ण हो जाती है पर किसी त्रुटि के कारण जिनकी सद्गति अथवा पुनर्जन्म नहीं हो पाता। योगिनियाँ और भी कई प्रकार की होती हैं किन्तु यहाँ पर इन्हीं तीन प्रकार का वर्णन है।


होती हैं।


जातकदशा चक्रिणी योगिनियाँ- 

जन्म कुण्डली में ग्रहदशा की भाँति योगिनीदशा का भी एक समय निर्धारित है जो जन्म से मृत्यु तक चलता रहता है। इनमें से भी किसी एक योगिनी की साधना कर लेने पर साधक को पर्याप्त सांसारिक सुख समृद्धि मिलती रहती है। प्रकार – इन योगिनियों के भी गुण और प्रभाव के अनुरूप कई रहस्यमयी प्राचीन तन्त्र विद्याएँ


स्वरूप हैं, स्वरूप भेद के अनुसार ही इनके मन्त्र व अनुष्ठान के भी प्रकार थोड़ा-थोड़ा भिन्न हैं।


कोई सिद्धिदायिनी है तो कोई मंगल करने वाली है कोई और वैर करने वाली है तो कोई वैर कराने का कार्य करती है। किन्तु सभी अपने भक्त की रक्षा करती हैं एवं सहायता करती हैं। जीवन की सफलता के लिए इनकी साधना करना बहुत लाभदायक रहता है।


इनमें प्रमुख पिंगला, संकटा, सिद्धा, उल्का, भ्रामरी और भद्रिका हैं। देश में बहुत स्थानों पर इनके सिद्धपीठ भी बने हुए हैं।

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संकटा साधना


मन्त्र — ॐ ह्रीं संकटे मम रोगनाशय स्वाहा । -


अनुष्ठान- संकटायोगिनी की साधना लाल वस्त्र की पूजन सामग्री के द्वारा सिंहवाहिनी रूप में सप्तमी से पूर्णमासी तक की जाती है। त्रिकाल की संध्याओं में देवी का पूजन उक्त मन्त्र से करे | सप्तमी के प्रात:काल ५,००० जप करें फिर नित्य प्रातः पूर्णमासी तक इसी प्रकार खीर, पूड़ी का भोग लगाकर सात कन्याओं को भोजन कराकर (ब्राह्मण कन्याएँ) जप करता रहे। पूर्णमासी तक भूमि पर ही सोवे । पूर्णमासी को हवन करे ।


- प्रभाव - सारे रोग और कष्ट नष्ट करके जीवन में सफलता देती हैं। मातृरूप में ही पूजा करें ।

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पिंगला साधना


मन्त्र — ॐ नमो पिंगले वैरिकारिणी, प्रसीद प्रसीद नमस्तुभ्यं । 


अनुष्ठान - पीले रंग की पूजन सामग्री से पंचमी के दिन से पूर्णमासी तक प्रातः मध्याह्न की सन्ध्याओं में देवी का षोडशोपचार पूजन करके ५,००० का जप करे। नित्य कन्याओं को पाँच ब्राह्मण कन्याओं को हलुवा (पीला) पूड़ी का भोजन कराए। देवी को भी इसी का भोग



लगावे। नित्य हवन भी इसी से करे पूड़ी, हलवा देसी घी से बनाएँ (डालडा या तेल से नहीं)। भूमि पर शयन करे। पूर्णमासी को अधिक हवन करे।


- प्रभाव - देवी की कृपा से सारे विघ्न शांत होते हैं। सुमार्ग प्राप्त होता है तथा धन धान्य के मार्ग खुलते हैं और समृद्धि बढ़ती है। मंगला साधना


मन्त्र - ॐ नमो मंगले मंगल कारिणी, मंगलं मे कुरु ते -


अनुष्ठान -

 अष्टमी के दिन से अमावस्या तक लाल रंग की पूजन सामग्री से मंगलायोगिनी की पूजा षोडशोपचार तीनों संध्याओं में करके प्रातः काल ५,००० जप करे। शेष दोनों सन्ध्याओं में एक-एक माला जप करे। कन्याओं को नित्य फल मिठाई (मीठे फल) का भोग लगाए। रोज नौ कन्याएँ जिमावे। अमावस्या को दशांश हवन करे तो देवी प्रसन्न होती हैं। कन्याओं को अमावस्या को वस्त्र तथा दक्षिणा भी देवे। कन्याएँ ब्राह्मण की हों।


देवी मंगला जिस साधक पर पूर्णतः प्रसन्न हो जाएँ वे उसे धन-धान्य से पूर्ण कर देती हैं। हर तरफ उसे मंगल ही मंगल करती हैं। इनकी उपासना भी माता के रूप में ही करनी चाहिए। अनुष्ठान के बाद नित्य प्रातः देवी की पूजा और एक माला जप करता रहे। -


उल्का साधना


- मन्त्र — ॐ उल्के विघ्नाशिनी कल्याणं कुरु ते नमः 

। अनुष्ठान- यूं तो उल्का बहुत ही उग्रशक्ति योगिनी पर कृपालु होती हैं। जो साधक चतुर्थी से अमावस्या तक त्रिकाल संध्या में श्वेत पूजन सामग्री से इनकी पूजा करके सायंकाल ५,००० जप नित्य करके अनुष्ठान पूर्ण कर लेता है। साथ ही रोज कन्याओं (ब्राह्मण) की खीर


पूड़ी का भोजन कराकर दक्षिणा देता है। अमावस्या को दशांश हवन करता है उस पर वे अत्यन्त प्रसन्न होती हैं ।


- फल - उल्का देवी के प्रसन्न होने पर रुके हुए काम अनायास होने लगते हैं, सारे विघ्न भाग जाते हैं, सुख ही सुख आने लगते हैं, नित्य उनका पूजन और १०८ जप करता रहे ।

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प्रेत बाधा धुर करने की विधि


निम्नलिखित मन्त्र को रोगी पर पढ़कर फूंक मारे और थाली में आदमी की शक्ल आटा गूंध कर बनावे परन्तु उसके पांव उल्टे रक्खे और एक तेल का चिराग जलाकर रखे। उस आटे के आदमी को घी और सिंदूर से पोत दे। जब एक सौ एक बार पढ़कर रोगी पर मन्त्र फूंक चुको उसी समय एक चाकू से उस शक्ल के टुकड़े कर दे। रोगी एक दम चीखकर हत ज्ञान हो जायेगा। उसी समय उस थाली 

आसेव उतारने का मन्त्र को वहाँ से हटवादे और उसको किसी चौराहे पर रखवादे, उसी समय से रोगी को आराम होना प्रारम्भ हो जायेगा। यह प्रयोग रात्रि के समय एकान्त में करने का है।


- मन्त्र – ओं चन्डी मसान वीर भान भूत प्रेत के औसान भस्मी भूतं स्वहाः 


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आधा शीश दूर करने का मन्त्र

 ॐ नमो आदेश गुरु का काली चिड़ी चिगधिग करे धोली आवे दर्द हरे जनी हनुमाना हांक मारे मिथवाई आधा शीशी नाश करे गुरु की फुरो मन्त्र ईश्वर वाचा ।

 विधि-इक्कीस बार मंत्र पढ़कर झाड़े तो आधाशीशी दर्द दूर होत है  ।


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Comments

Anonymous said…
Hello

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