सभी साधना और सिद्दी योका समूह
- Get link
- Other Apps
सुनयना किन्नरी साधना
सुलेमानी लाल पारी साधना
माता मदानण साधना
कर्ण पिशाचिनी साधना
वार्ताली देवी साधना
यह एक अत्यन्त प्राचीन व दुर्लभ साधना है, जिसका पूर्ण विवरण पाठकों को कहीं भी एकत्रित रूप में उपलब्ध नहीं है। इस वार्ताली साधना का सही वैदिक स्वरूप यहाँ प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया। है।
भगवती वार्ताली का सीधा सम्बन्ध कुण्डलिनी देवी से है, जो सूक्ष्म शरीर के षट्चक्रों का नियन्त्रण करती हैं। इस साधना से साधक को ब्रह्मत्व की प्राप्ति हो जाती है। इसकी सिद्धि से दुःख, दरिद्रता का नाश होता है।
वार्ताली की साधना का विधान अत्यन्त दुर्लभ है। यह साधना त्रिकाल दिव्य दृष्टि प्रदान करने वाली है। इसकी सिद्धि से साधक त्रिकाल ज्ञान प्राप्त कर लेता है। जब साधक इस वार्ताली मंत्र की सिद्धि प्राप्त कर लेता है, तब देवी प्रसन्न होकर दर्शन देती है। वरदान स्वरूप वह साधक के हृदय में दिव्य प्रकाश पुञ्ज के रूप में समाहित हो जाती है। तब साधक का शरीर कुछ समय कंपायमान रहता है, तत्पश्चात् वह त्रिलोक ज्ञाता हो जाता है। इसके बाद जब कोई भी व्यक्ति साधक के समक्ष जाता है, तो वह देवी की कृपा से व्यक्ति का भूत, भविष्य और वर्तमान सरलता से बता देता है। वह जब चाहे, वार्ताली देवी से शक्ति वार्ता कर सकता है। इस साधना की वेदोक्त विधि इस प्रकार है
विधि—सर्वप्रथम एकान्त कक्ष में यह साधना आरम्भ करें। दो फुट लम्बी, दो फुट चौड़ी लकड़ी की चौकी स्थापित करें। उस पर लाल रंग का रेशमी वस्त्र बिछायें। उस पर चावल बिछाकर ताम्रपत्र पर बना वार्ताली यंत्र स्थापित करें। अब चौकी के चारों कोनों पर चार तेल के दीपक जला दें। यह साधना कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से आरम्भ करने का विधान है। लाल रंग का आसन बिछायें, साधक स्वयं भी लाल वस्त्र ही धारण करें। एक घी का अखण्ड दीपक अलग से जलायें। पहले पंचोपचार पूजन करें। गुरु पूजन, गणेश पूजन व वास्तु पूजन सम्पन्न करें। मन्त्र जप • हेतु लाल मूंगे की माला का ही प्रयोग करें। संकल्प और विनियोग विधि पूर्वक करें। उसके पश्चात् ऋष्यादि न्यास करें। ऋष्यादि न्यासपराम्बा ऋषये नमः शिरसित्रष्टुप छन्द से नमः मुखे त्रिकाल देवताभ्यो नमः हृदये ऐं बीजाय नमः गुह्ये ह्रीं शक्ति नमः नाभौ श्री कीलकाय नमः पादयो विनियोगाय नमः सर्वांगेकरन्यास
ॐ अंगुष्ठाभ्याम् नमः ऐं तर्जनीभ्याम् नमः ह्रीं मध्याभ्याम् नमः श्रीं अनामिकाभ्याम् नमः पंचकारस्य कनिष्ठकाभ्याम् नमः ह्रीं श्रीं करतल
ॐ ऐं कर पृष्ठभ्याम् नमः
षडंगन्यास
ॐ हृदयाय नमः ऐं शिरसे स्वाहा ह्रीं शिखाय फट् श्रीं कवचाय हूं पंचकारस्य नेत्रत्रायाय वौषट् ॐ ऐं ह्रीं श्रीं अस्त्राय फट्
न्यासादि सम्पूर्ण करने के पश्चात् वार्ताली मंत्र का १६ माला जप
- मंत्र — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं पंच कारस्य स्वाहा
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक यह साधना करनी है। यह मंत्र जाप पूर्व दिशा की ओर मुख करके दाहिने हाथ की मध्यमा और अंगूठे के अग्र भाग से करें। मंत्र उच्चारण शुद्ध व स्पष्ट स्वर से करें। जप करते समय दाहिने ओर ताम्र जल कलश भी स्थापित करें। साधना सम्पन्न होने पर वार्ताली देवी प्रतिबिम्ब के रूप में प्रकट होकर साधक के हृदय में बिन्दु रूप में समा जाती है। जिससे साधक के चारों ओर एक दिव्य प्रकाश पुञ्ज बन जाता है।
साधना पूर्ण होने के पश्चात् वार्ताली यंत्र को साधक दाहिनी भुजा पर धारण कर ले। सिद्धि के पश्चात् साधक तीनों लोक में घट रही किसी भी घटना को चलचित्र की भाँति देखने में समर्थ हो जाता है, वह त्रिकाल दर्शी हो जाता है।
उपरोक्त साधना में वैदिक विधि के साथ सूक्ष्म तंत्रोक्त विधान का भी तीव्र प्रभाव हेतु समावेश किया गया है। आशा है साधक जन इससे विशेष लाभान्वित होंगे।
हत्था जोड़ी पौधे की जड़
वास्तु के हिसाब से हत्था जोड़ी एक बहुत ही मान्यता प्राप्त पौधा माना जाता है. शास्त्रों में इसे माँ काली और कमाख्या देवी का रूप माना जाता है. इसके जड़ को अपने घर में या ऑफिस में रखने से आपको हर परेशानियों से छुटकारा मिलता है. साथ ही आपको घर में और कारोबार में तरक्की मिलती है. इस पौधे की जड़ किसी पक्षी के पंजों की ही तरह दिखाई देते है.
इसका लाभ
- वास्तु के अनुसार जो लोग कंगाली या आर्थिक तंगी से जूझ रहे होते है. उन्हें इस पौधे की जड़ को घर में रखना चाहिए. इसके प्रभाव से घर माँ लक्ष्मी की कृपा बरसने लगती है. जिससे आपको धनलाभ होता है.
- हत्था जोड़ी के प्रभाव से घर में से पैसों की समस्या खत्म हो जाती है. आपके घर में व्याप्त आर्थिक तंगी पूरी तरह से खत्म हो जाती है.
- आर्थिक परेशानियों को खत्म करने वाले उपायों में से हत्था जोड़ी का इस्तेमाल से बेहतर उपाय माना जाता है.
- अगर व्यापार ठप पड़ा हो या धंधे में लाभ नहीं हो रहा है. तो ऐसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आपको हत्था जोड़ी के इस जड़ को अपने घर और ऑफिस में रखने से लाभ होता है.
- हत्था जोड़ी को कहीं भी रखने से पहले इसे सिंदूर में रखना चाहिए क्योंकि इससे इसका प्रभाव तेज हो जाता है. साथ ही लाभ जल्दी होने लगता है.
सियार सिंगी
तंत्र बंदन कोलने की विधि
पासू पक्षियोके लिए ..
घर मे पाले गये पशुओं के लिए झाडा
।।ॐ नमो सत्य नाम आदेश गुरु को, नजर जहाँ पर पीर ना जानी, बोले छल सों अमृत बानी, कहीं नजर कहा सो आई, यदि कि ठौर तोहि कौन बताई, कोन जात तेरी का डाम, किसकी बेटी कहो तेरो नाम, कहाँ से उडी कहा को जाना, अब ही बस कर ले तेरी माया, मेरी बात सुनो चित्त लगाय, जैसी हो सुनाऊ आप बेलन तमोलन, चुहडी चमारी, कायथनी खतरानी, कुम्हारी, महतरानी, राग की रानी, जाको दोष ताहि के सिर पर पड़ें, हनुमन्त बीर नजर से रक्षा करें, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।।
काल कलवा वशीकरण
काला कलवा वशीकरण मंत्र के बारे में किस प्रकार हम काले कन्वे द्वारा वशीकरण कर सकते हैं बाकी वशीकरण मंत्र ओके तुलना में काला कलवा वशीकरण मंत्र बहुत ही तेज गति से कार्य करता है और मुश्किल से इसकी काट होती है तो जानते हैं अभी उसके विधि के बारे में यह साधना आपकी रहेगी पूरे 8 दिन की 7 दिन आपका जब होगा और आठवें दिन आपको इससे एक माला का हवन करना होगा तो आपको इस साधना में करने के लिए आपको सामग्री लगेगी एक लौंग का जोड़ा पंचमेवा या पाया प्राची प्रकार की मिठाई कुछ फुल पंच अगरबत्ती और घी का दीपक आप के आसान आसान रहेगा काला वस्त्र काले रह गए और माला आप रुद्राक्ष के लिए सकते समय रहेगा आपका साधना का रात के 10:00 बजे के बाद 10:00 बजे के बाद आप योग साधना शुरू कर सकती हो आपको प्रतिदिन एक माला निकालने और जप करने से पहले आपको धूनी गोबर के कंडे पर जलानी है और गूगल उस पर डालना जब तक आपका जब चलेगा तब तक आपको धोनी जलाए रखनी है पहले और सातवें दिन आपको लौंग का जोड़ा पंचमेवा और पांच प्रकार की मिठाई यह आपको जब करते वक्त सामने रखने और दूसरे दिन सुबह किसी एकांत स्थान या निर्णय आपको रहने और खाने के बाद पीछे मुड़कर बिल्कुल नहीं देखना है रात के दिन आपको इसी मंत्र से 108 बार आहुति देकर हवन करना है मैं आप पांच प्रकार की मिठाई और हवन सामग्री और 1 किलो का जोड़ा आप को दे देना है करते वक्त आपको घी का दीपक आपके सामने जलाकर रखना है मंत्र इस प्रकार मेरे प्रिय साधक मंत्र व शक्तिशाली और शाबर मंत्र साबर मंत्र वैसे भी बहुत तेज गति से काम करते प्रदेश के प्रयोग के बारे में आप कोई भी मिठाई पर 21 बार मंत्र अभिमंत्रित करके शिक्षित व्यक्ति को आप को खिला देना है वह भी आपको एक ही दिन में आपको आपके बस में हो जाएगा और आपका हर बात मानेगा खाकर आप अगर सफेद मिठाई लेते हो तो आपको बहुत जल्दी आकर में देखने को मिलेगा 4 या 5 घंटे में आपको इस मंत्र का असर देखने को मिलेगा अगर आप खिला नहीं सकते हो तो सिर्फ आपको उसकी फोटो की जरूरत पड़ेगी आपको मंत्र सिद्धि के बाद 3 दिन का संकल्प लेकर जाप करना होगा उसके लिए आपको फोटो आपको आपके सामने रखना होगा दीपक जलाना होगा 5 अगरबत्ती आपको आपके सामने जलाने होगी 3 दिन का आपका संकल्प रहेगा और आपको 3 दिन 11 माला या ज्यादा भी जाप किया तो भी कोई दिक्कत नहीं है इतनी जल्दी आपको असर देखने को मिलेगा यह किया तीन माला अपने ही साधक अपनी इच्छा अनुसार जब कर सकता है और संकल्प ले सकता है 3 दिन जब के बाद भी आपको साथ पांचवे या सातवें दिन असर देखने को मिलेगा अगर वह भी आपसे दूर है तो वह आपको खुद संपर्क करने की कोशिश करेगा और वह आपके पास फिर से लौट आएगा
मंत्र : काला कलवा चौसठ फिर मेरा कलवा मारा तीर जहां को भेजूं वह आ जाए मांस मच्छी को व न जाए अपना मारा आप ही खाए झलक बांध मारो उलट मत मारो मार मार कलवा तेरी आज चार चौमुखा दिया ना बाती जा मारो वही की छाती इतना काम मेरा न करे तो तुझे अपनी मां का दूध पिया हराम है
मोहिनी मन्त्र
रही ओल में बसी कुल में कुल का बास ला मेरे पास सात वरण का फूल ला मेरे पास सात सखी को मोह के ला और की मोहिनी छूट जाये मेरी मोहिनी न छूटे हो जा पत्थर की रेख मेरी आन ईश्वर गौरा पार्वती महादेव की दुहाई।।
वशीकरण मन्त्र-
ॐ नमो किस पर कामनी अमुकी विशायमान हूं फट् स्वाहा ।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मनोकामना पूर्ति हेतु मंत्र
मन्त्र – ओं नमो भूतनाथाय नमः मम सर्व सिद्धिं देहि देहि, श्री क्लीं स्वाहा ।
विधि — यह प्रयोग गोपनीय है इसे सिद्ध करने पर व्यक्ति जीवन में जो कुछ भी चाहता है वह पूरा होता है। किसी प्रकार का कोई अभाव इस मन्त्र से नहीं रहता । इस मन्त्र से लक्ष्मी प्रगट होती है ।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
भ्रमरी साधना
मन्त्र — ॐ नमो भ्रामरी जगतानामधीश्वरी
भ्रामर्ये नमः । - - अनुष्ठान - प्रतिपदा कृष्णपक्ष से आरम्भ कर अमावस्या तक शिवालय के लाल रंग की पूजा सामग्री से भ्रामरी देवी की पूजा कर खीर, पूड़ी, मोतीचूर का भोग लगाए । नौ कन्याएँ रोज अमावस तक खिलाएँ (ब्राह्मण कन्याएँ) नित्य दक्षिणा देवे । फिर रात्रि में वहीं बैठकर ५,००० जप करे। अमावस्या तक देवी की कृपा प्राप्त हो जाती है । इसका आभास स्वयं साधक को होता है ।
फल – शत्रुओं पर विजय, जीवन का भटकाव समाप्त हो एक दिशा मिले, लाभ के अवसर मिलें, समाज में सम्मान और धन मिले। परन्तु किसी भी स्त्री का अपमान न करे अन्यथा कष्ट होगा।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
भद्रिका साधना
- मन्त्र — ॐ भद्रिके भद्रं देहि देहि, अभद्रं दूरी कुरु ते नमः ।
अनुष्ठान - शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से पूर्णमासी तक अपने घर में श्वेत पूजन सामग्री तथा खीर पूरी से देवी की त्रिकाल पूजा करे ११ ब्राह्मण कन्याएँ नित्य जिमावे, दक्षिणा देवे। फिर प्रातः प्रातः ५,००० जप करे। क्रोध न करे। स्त्रियों को दुःख न दे। उनका मान करे। भूमि पर शयन करे। पूजन षोडशोपचार ही करे तो पूर्णमासी तक निश्चय ही कृपा होय। क्या कृपा होय? यह केवल साधक जान सकता है ?
फल - इनकी कृपा से जीवन के सारे अमंगल धीरे-धीरे दूर -होते जाते हैं और शुभ ही शुभ आते जाते हैं। देवी सदैव पूजा करते रहने से, एक माला जप करते रहने से हमेशा सहायता करती है ।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
धन –
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
डूबा धन प्राप्त करने के लिये
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
विदेश व्यापारी–
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
– व्यापारिक यात्रा –
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
शत्रुता शमन हेतु–
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
पित्र दोष दूर करने और उनकी समपत्ति हासिल करने
पितृ दोष के लक्षण :
पितृ दोष के उपाय
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
बचत हेतु बरकत न होने पर
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
स्वप्न साधना
सामान्य तौर पर सभी की आध्यात्मिक ऊर्जा सुप्तमन्त्र मस्तिष्क में स्थिति हुआ करती है। कतिपय श्रेष्ठ साधक ही इसे जगाकर स्वयं सदा जागृत बने रहते हैं किन्तु सामान्यजन के लिए अपना भविष्य और जीवन के शुभ-अशुभ की जानकारी के लिए स्वप्न एक बहुत महत्त्वपूर्ण विधा है।
- महत्त्व - निश्चय ही जिन्हें इसका ज्ञान अथवा अनुभव नहीं हुआ है, वे विश्वास नहीं कर पाते किन्तु अब अध्यात्म में रुचि रखने वाले पवित्र मन, बुद्धि और संयमपूर्ण आचरण वाले लोग जानने लगे हैं कि स्वप्न कितने महत्त्वपूर्ण और सशक्त उपाय हैं भविष्य ज्ञान का । स्वप्न मन्त्रों के माध्यम से देखे जा सकते हैं किन्तु कई बार उनकी भाषा समझना थोड़ा मुश्किल होता है। अतः स्वप्न देखने के बाद यदि समझ न आया हो तो अपने गुरु अथवा किसी योग्य ब्राह्मण से पूछना चाहिए। स्वप्न के लिए कुछ विश्वसनीय मन्त्र और उनके विधान यहाँ प्रस्तुत हैं—
गणेश स्वप्न साधना
परिचय - स्वप्नों के कथनकर्ताओं में भगवान् गणपति का अद्वितीय स्थान है किन्तु इनसे स्वप्न में हाल जानने के लिए चतुर्थी से अमावस्या तक लगातार इनकी उपासना करनी पड़ती है। इसके बाद भगवान् रहस्यमयी प्राचीन तन्त्र विद्याएँ *
गणेश किसी भी दिन उपासना करने पर स्वप्न में भविष्य कथन करने लगते हैं किन्तु ऐसे साधक को दूसरे को मनसा-वाचा-कर्मणा किसी प्रकार से कष्ट नहीं पहुँचाना चाहिए अन्यथा स्वयं को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है। - अनुष्ठान विधि - एकान्त शयनकक्ष में सायंकाल स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके गणेश जी की पीतल की मूर्ति की जल, पुष्प, चावल, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, आरती, दक्षिणा, वस्त्र आदि से पूजा निम्न मन्त्र से करे । मूर्ति पूर्व दिशा में पश्चिमाभिमुख रखें।
मन्त्र — ॐ त्रिजट लम्बोदर कथय कथय नमस्तुभ्यम् ।
अनुष्ठान - फिर वहीं जमीन पर शुद्ध आसन पर बैठकर ५ माला जप नित्यप्रति करके पश्चिम की ओर पैर करके, सिरहाने की तरफ गणेश जी को काठ की चौकी पर स्थापित करके बायीं करवट सो जाएँ। अमावस्या तक में गणेश जी स्वप्न देना आरम्भ कर देते हैं। इसके बाद आवश्यकतानुसार कभी एक दिवसीय अनुष्ठान करके स्वप्न में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। प्रातः काल मिठाई प्रसाद ११ वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बाँट दें।
शिव स्वप्न साधना
मन्त्र — ॐ हिलि हिलि शूलपाणये नमः । -
- अनुष्ठान - उक्त मन्त्र से शिवमूर्ति की पूजा सायंकाल स्नानादि करके करे फिर रात्रि में एकान्त स्थान में सोने की व्यवस्था करे और सोने से पूर्व, उत्तर का ध्यान शिव का कर ३३ माला जप ११ दिन तक करे धूपदीप जलता रहे। फिर उत्तर को पैर कर, जमीन पर ही बायीं करवट सोये । ११ वें दिन स्वयं स्वप्न में सिद्धि का पता लग जाएगा। यदि न हुई हो तो अनुष्ठान २१ अथवा ३१ दिन तक करता रहे। सिद्धि मिलने पर ११ माला जप करके प्रश्न पूछकर शिवजी का ध्यान करके बायीं करवट सो जायें, उत्तर अवश्य मिलता है।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
रोजी प्राप्ति के लिए मंत्र
ॐ काली कंकाली महाकाली भरे समुन्दर पवि प्याली चार बीर भैरव चौरासो तब तो पूजू पान मिठाई अब बोलू काली दुहाई ।
विधि :- नित्य स्नान करके इस मन्त्र को ७ दिन ४८ बार पूर्व मुख होकर जपे तो रोजगार में बहुत नफा होवे इस मन्त्र का वर्णन शंकर जी ने अपने मुख से किया है। ऐसा कहा जाता है।
_______________________________________________
रोजी प्राप्त करने का मन्त्र 2
मन्त्र - ओं नमो नगन चीटि महाबीर,हूं पूरी तोरी आश, तू पूरो मोरी आश ।
विधि - भुने हुए चावल एक सेर, पाव भर शक्कर, आधा पाव घी, इन सब चीजों को मिलाकर प्रातः काल सुबह के समय नहाकर जहाँ चींटी का बिल हो, चीटियों के निवास पर जाकर वहाँ मन्त्र पढ़ते हुए चींटियों के बिल के पास थोड़ी-थोड़ी सामग्री डालते जायें इस प्रकार ४० दिन करने से तुरन्त रोजगार
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
हनुमान जी की सवारी मंत्र
ॐ हनुमान बारह वर्ष का जवान हाथ में लड्डू मुख में लड्डू पवनहु कुमार आओ बाबा हनुमान दोहाई महादेव गौरा पार्वती की शब्द साँचा फुरो मंत्र, ईश्वरो वाचा ।
विधि :- महीने में पहले मंगल को व्रत करके लाल कपड़े पहिन के मूंगे की माला से जपे और धूप दीप हनुमान के घर पवित्र स्थान में बैठकर तेल, सिन्दूर, व गुड़ और गेहूं का चूरमा सवा सेर करके भोग लगावे और उसमें आप भी खावे और जब इस मन्त्र को ११००० जपे तो सिद्ध तो होवे मंगल को करता रहे सर्व सुख देने वाला राम मन्त्र है जो सब सुख देने वाला है ।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
योगिनी साधना
योगिनी साधना सांसारिक सुखों की प्राप्ति और योग प्राप्ति के लिए एक सम्पूर्ण साधना मानी गई है। यद्यपि योगिनी साधना बहुत कठिन नहीं है फिर भी जरा सी भी चूक हो जाने योगिनियाँ यदि कुपित हो गईं तो अनिष्ट भी बहुत बुरी तरह से करती हैं । वे माता, बहिन, पत्नी, पुत्री के रूप में सिद्ध हो जाती हैं और साधक की सदैव सहायता करती रहती हैं परन्तु योगिनीसाधक सुख चाहे तो केवल एक योगिनी साधना करे ।
योगिनियों के प्रकार -
योगिनियाँ कई प्रकार की एक तो वे जो ज्योतिष के अनुसार जातक की दशा बदलती हैं। दूसरी योगिनियाँ वे हैं जो महाविद्याओं के साथ निवास करती हैं। तीसरी वे जो साधना करते-करते शरीर त्याग देती हैं और साधना पूर्ण नहीं कर पातीं अथवा जिनकी साधना पूर्ण हो जाती है पर किसी त्रुटि के कारण जिनकी सद्गति अथवा पुनर्जन्म नहीं हो पाता। योगिनियाँ और भी कई प्रकार की होती हैं किन्तु यहाँ पर इन्हीं तीन प्रकार का वर्णन है।
होती हैं।
जातकदशा चक्रिणी योगिनियाँ-
जन्म कुण्डली में ग्रहदशा की भाँति योगिनीदशा का भी एक समय निर्धारित है जो जन्म से मृत्यु तक चलता रहता है। इनमें से भी किसी एक योगिनी की साधना कर लेने पर साधक को पर्याप्त सांसारिक सुख समृद्धि मिलती रहती है। प्रकार – इन योगिनियों के भी गुण और प्रभाव के अनुरूप कई रहस्यमयी प्राचीन तन्त्र विद्याएँ
स्वरूप हैं, स्वरूप भेद के अनुसार ही इनके मन्त्र व अनुष्ठान के भी प्रकार थोड़ा-थोड़ा भिन्न हैं।
कोई सिद्धिदायिनी है तो कोई मंगल करने वाली है कोई और वैर करने वाली है तो कोई वैर कराने का कार्य करती है। किन्तु सभी अपने भक्त की रक्षा करती हैं एवं सहायता करती हैं। जीवन की सफलता के लिए इनकी साधना करना बहुत लाभदायक रहता है।
इनमें प्रमुख पिंगला, संकटा, सिद्धा, उल्का, भ्रामरी और भद्रिका हैं। देश में बहुत स्थानों पर इनके सिद्धपीठ भी बने हुए हैं।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
संकटा साधना
मन्त्र — ॐ ह्रीं संकटे मम रोगनाशय स्वाहा । -
अनुष्ठान- संकटायोगिनी की साधना लाल वस्त्र की पूजन सामग्री के द्वारा सिंहवाहिनी रूप में सप्तमी से पूर्णमासी तक की जाती है। त्रिकाल की संध्याओं में देवी का पूजन उक्त मन्त्र से करे | सप्तमी के प्रात:काल ५,००० जप करें फिर नित्य प्रातः पूर्णमासी तक इसी प्रकार खीर, पूड़ी का भोग लगाकर सात कन्याओं को भोजन कराकर (ब्राह्मण कन्याएँ) जप करता रहे। पूर्णमासी तक भूमि पर ही सोवे । पूर्णमासी को हवन करे ।
- प्रभाव - सारे रोग और कष्ट नष्ट करके जीवन में सफलता देती हैं। मातृरूप में ही पूजा करें ।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
पिंगला साधना
मन्त्र — ॐ नमो पिंगले वैरिकारिणी, प्रसीद प्रसीद नमस्तुभ्यं ।
लगावे। नित्य हवन भी इसी से करे पूड़ी, हलवा देसी घी से बनाएँ (डालडा या तेल से नहीं)। भूमि पर शयन करे। पूर्णमासी को अधिक हवन करे।
- प्रभाव - देवी की कृपा से सारे विघ्न शांत होते हैं। सुमार्ग प्राप्त होता है तथा धन धान्य के मार्ग खुलते हैं और समृद्धि बढ़ती है। मंगला साधना
मन्त्र - ॐ नमो मंगले मंगल कारिणी, मंगलं मे कुरु ते -
अनुष्ठान -
अष्टमी के दिन से अमावस्या तक लाल रंग की पूजन सामग्री से मंगलायोगिनी की पूजा षोडशोपचार तीनों संध्याओं में करके प्रातः काल ५,००० जप करे। शेष दोनों सन्ध्याओं में एक-एक माला जप करे। कन्याओं को नित्य फल मिठाई (मीठे फल) का भोग लगाए। रोज नौ कन्याएँ जिमावे। अमावस्या को दशांश हवन करे तो देवी प्रसन्न होती हैं। कन्याओं को अमावस्या को वस्त्र तथा दक्षिणा भी देवे। कन्याएँ ब्राह्मण की हों।
देवी मंगला जिस साधक पर पूर्णतः प्रसन्न हो जाएँ वे उसे धन-धान्य से पूर्ण कर देती हैं। हर तरफ उसे मंगल ही मंगल करती हैं। इनकी उपासना भी माता के रूप में ही करनी चाहिए। अनुष्ठान के बाद नित्य प्रातः देवी की पूजा और एक माला जप करता रहे। -
उल्का साधना
- मन्त्र — ॐ उल्के विघ्नाशिनी कल्याणं कुरु ते नमः
। अनुष्ठान- यूं तो उल्का बहुत ही उग्रशक्ति योगिनी पर कृपालु होती हैं। जो साधक चतुर्थी से अमावस्या तक त्रिकाल संध्या में श्वेत पूजन सामग्री से इनकी पूजा करके सायंकाल ५,००० जप नित्य करके अनुष्ठान पूर्ण कर लेता है। साथ ही रोज कन्याओं (ब्राह्मण) की खीर
पूड़ी का भोजन कराकर दक्षिणा देता है। अमावस्या को दशांश हवन करता है उस पर वे अत्यन्त प्रसन्न होती हैं ।
- फल - उल्का देवी के प्रसन्न होने पर रुके हुए काम अनायास होने लगते हैं, सारे विघ्न भाग जाते हैं, सुख ही सुख आने लगते हैं, नित्य उनका पूजन और १०८ जप करता रहे ।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
प्रेत बाधा धुर करने की विधि
निम्नलिखित मन्त्र को रोगी पर पढ़कर फूंक मारे और थाली में आदमी की शक्ल आटा गूंध कर बनावे परन्तु उसके पांव उल्टे रक्खे और एक तेल का चिराग जलाकर रखे। उस आटे के आदमी को घी और सिंदूर से पोत दे। जब एक सौ एक बार पढ़कर रोगी पर मन्त्र फूंक चुको उसी समय एक चाकू से उस शक्ल के टुकड़े कर दे। रोगी एक दम चीखकर हत ज्ञान हो जायेगा। उसी समय उस थाली
आसेव उतारने का मन्त्र को वहाँ से हटवादे और उसको किसी चौराहे पर रखवादे, उसी समय से रोगी को आराम होना प्रारम्भ हो जायेगा। यह प्रयोग रात्रि के समय एकान्त में करने का है।
- मन्त्र – ओं चन्डी मसान वीर भान भूत प्रेत के औसान भस्मी भूतं स्वहाः
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
आधा शीश दूर करने का मन्त्र
ॐ नमो आदेश गुरु का काली चिड़ी चिगधिग करे धोली आवे दर्द हरे जनी हनुमाना हांक मारे मिथवाई आधा शीशी नाश करे गुरु की फुरो मन्त्र ईश्वर वाचा ।
विधि-इक्कीस बार मंत्र पढ़कर झाड़े तो आधाशीशी दर्द दूर होत है ।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
- Get link
- Other Apps
Comments