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Jai maa kaali jai maa tara sabhi ko subhoday सुलेमानी लाल पारी साधना  यह साधना जीवन में धन की कमी को दूर करती है और कार्य में आने वाली प्रत्येक बाधा को नष्ट कर देती है। इस साधना से आकस्मिक धन की प्राप्ति होकर जीवन सुखमय हो जाता है । इस परी में धन और जल तत्व प्रधान है, अत: यह सौन्दर्य के साथ समृद्धि का भी प्रतीक है। यह साधना किसी भी संक्रान्ति के पश्चात् आने वाले प्रथम शुक्रवार को आरम्भ करें । चमेली के तेल का दिया जलाकर, लाल सिंगरफ* से स्वयं के चारों ओर एक घेरा बना लें । जब साधना में बैठें, तो जब तक जप सम्पूर्ण न हो उस घेरे से बाहर न निकलें । चमेली और गुलाब पुष्प पास में रखें। यदि मंत्र जप के मध्य परी प्रकट होकर साधक के पास आकर बैठ जाये, तो तनिक भी विचलित न हों, मंत्र जप करते रहें । साधना पूर्ण होने पर ही परी पर पुष्प वर्षा करके मनचाहा वचन ले लें। धूप व लोबान जलाकर ही मंत्र जाप शुरू करें। चारों ओर इत्र का छिड़काव करें। सफेद वस्त्र धारण करें, लाल हकीक की माला से मंत्र जपें । पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठें। घुटनों के बल बैठकर भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। मंत्र इस प्रकार हैं- बिस्मिल्

माला कितने प्रकार की है





जाप कितने प्रकार के होते है 



जाप तीन प्रकार के होते हैं
 वाचिक उपांशु और मानसिक
1.वाचिक जाप में साधक इस प्रकार जाप करता है कि वह जो मंत्र जाप कर रहा है वह स्वयं के अलावा दूसरों को भी स्पष्ट रूप से सुनाई देता है!
2.  उपांशु जप में साधक साधक इस प्रकार जाप करता है कि  इसमें उसके होंठ मात्र हिलते दिखाई देते हैं मंत्र की आवाज केवल स्वयं को ही सुनाई देती है दूसरों को नहीं!
3. मानसिक जाप में साधक इस प्रकार जाप करता है कि उसकी आवाज अन्य तक तो ठीक स्वयं के कानों में भी नहीं आती यानी उसके होंठ बंद रहते हैं और वह मन ही मन में जाप करता है!
 यहां यह ध्यान रखने योग्य बात है कि जब व्यक्ति या साधक वैदिक रीति से अगर जाप कर रहा है तो  वाचिक श्रेष्ठ उपांशु होता है और उपांशु से भी श्रेष्ठ मानसिक जाप होता है!
वहीं अगर व्यक्ति या साधक तांत्रिक विधि से जाप कर रहा है तो मानसिक से श्रेष्ठ उपांशु और उपांशु से भी श्रेष्ठ वाचिक होता है!
 जाप करते समय हथेलियों की स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण होती है सुबह के समय अगर साधक जॉब कर रहा है यानी दोपहर 12:00 बजे के पहले तक अगर साधक जाप करता है तो उसकी हथेलियां चित्र क्रमांक 1 की तरह आकाश की ओर होना चाहिए दोपहर 12:00 से सूर्यास्त तक किए जाने वाले जाप में साधक की हथेलियां चित्र क्रमांक 2 की तरह सीधी होनी चाहिए यानी सामने की तरफ और सायं सूर्यास्त से रात्रि 12:00 बजे तक या फिर अगले दिन सूर्योदय तक किए जाने वाले जाप में साधक की हथेलियां चित्र क्रमांक 3 की तरह जमीन की तरफ होना चाहिए!
जय माता रानी


जप माला क्या है?

जप माला मंत्रों के उच्चारण की गिनती करने या गिनती याद रखने का खास यंत्र है। जप माला अनुमन 108 या 27 मोतियों की होती हैं क्योंकि मंत्र का जाप भी हम 108 या 27 बार ही करते हैं।

क्या आप जानते हैं की जप माला में 108 या 27 मोती ही क्यों होते हैं? इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। आइये जानते हैं।


जप माला में 108 मोती क्यों होते हैं?

वेदों के अनुसार 108 अंक का विज्ञान और अध्यात्म में बहुत अहम महत्व है।

वैज्ञानकों के अनुसार चंद्रमा पृथ्वी से अपने व्यास के 108 गुना दूरी पे है। वहीँ सूरज और पृथ्वी के बीच की दूरी भी सूर्य के व्यास के 108 गुना है।

जप माला में उन 108 मोतियों के अलावा भी एक 109वा मोती होता है जो की माला का केंद्र माना जाता है। यह मोती बाकी सभी मोतियों से आकार में बड़ा होता है। यह मनका / बीज / मोती माला के प्रारंभ और समापन को दर्शाता है।

आइये अब जानते हैं की जप माला कितने प्रकार की होती हैं।



              सूर्य के उपाय करने के लिए बिल लकड़ी की माला का उपयोग शुभ है।


पुत्रजीवक माला चमत्कारिक व दिव्य माला है, इसे स्त्री और पुरुष दोनों को धारण करना चाहिए, पुरुषों को यह माला धारण करने से नपुंसकता व शुक्राणुओं की कमी से मुक्ति मिलती है, महिलाओं को यह माला बांझपन से मुक्ति दिलाती है ।


यह माला देवी लक्ष्मी को भी आकर्षित करती है, इस माला को धारण करने वाला धन धान्य से परिपूर्ण हो जाता है





किसी माला धारण करने और मंत्र को सिद्ध करने के लिए तथा भगवान सूर्य देव के मंत्रों का जाप करते समय प्रयोग किया जाता है 
इस माणिक्य रत्न की माला को धारण करने से पितृदोष और ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं किसी भी प्रकार की पीड़ा से छुटकारा मिलता है।



मूंगा एक प्रकार का जलीय प्राणी शैवाल से प्राप्त होने वाला रत्न है इस रत्न की माला धारण करने से मंगल ग्रह के दोष मिट जाते हैं मेष और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मूंगा धारण करना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है।





मोती की माला पहनने या धारण करने से सभी प्रकार से लाभ होता है चंद्रमा से संबंधित कोई भी दोष नष्ट हो जाता है तथा कर्क राशि के जातकों के लिए सबसे अधिक उपयोगी होती है इस माला को पहन कर चंद्र देव और शिवजी की आराधना करें
मोती के स्थान पर शंख या सीप भी माला अधिकतर तांत्रिक लोग पहनते हैं क्योंकि उन्हें तांत्रिक विद्या की साधना को करनी होती है जो उनके लिए काफी उपयोगी होता है।




अक्सर आप लोगों ने देखा होगा कि बहुत से तांत्रिक लोग हल्दी की माला को धारण करें रहते हैं दरअसल हल्दी की माला बगलामुखी साधना में किया जाता है तथा भगवान गणेश और बृहस्पति देव के मंत्र को सिद्ध करते समय भी हल्दी की माला का प्रयोग किया जाता है ।

बृहस्पति देव की आराधना के लिए हल्दी की माला के अलावा‘जीया पोताज् की माला का भी प्रयोग किया जाता है।




रुद्राक्ष की माला भगवान शंकर के लिए मंत्रोचार करते समय किया जाता है जिससे भगवान शिव तुरंत प्रसन्न होते हैं रुद्राक्ष की माला के साथ मंत्र जपते समय मंत्र का जाप करें |




चंदन की माला मां दुर्गा की उपासना के लिए किया जाता है इसके अलावा मंगल दोष को मिटाने तथा भगवान विष्णु और रामकृष्ण कि जब के लिए किया जाता है किसी भी उपासना के लिए लाल चंदन की माला सबसे उपयोगी होती है इसके अलावा सफेद चंदन की माला से मां सरस्वती मां लक्ष्मी गायत्री मंत्र की उपासना और जाप के लिए शुभ होती है


तुलसी की माला भगवान राम विष्णु और कृष्ण की आराधना और उपासना के लिए प्रयोग की जाती है जब भगवान विष्णु राम और कृष्ण से संबंधित सिद्धि कर रहे होते हैं तो तुलसी के माला के साथ जाप के समय निम्न मंत्र का उच्चारण भी करते हैं।





वैजयंती का माला भगवान विष्णु की आराधना या सूर्य देव की उपासना के लिए किया जाता है इसके अलावा विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की पूजा वैजयंती माला का उपयोग किया जाता है वैजयंती की माला से जाप करने से ग्रह नक्षत्रों का दोष समाप्त होता है खास तौर पर शनिदेव का प्रकोप समाप्त हो जाता है।







कमलगट्टे की माला मां लक्ष्मी की उपासना के लिए सबसे ज्यादा शुभ मानी जाती है इसके स्वाद कमलगट्टे की माला भगवान विष्णु और मां काली की उपासना मैं भी किया जाता है।







काले हकीक की माला का उपउयोग संसानी सक्तियोको हासिल करने में काम आती है







मुस्लिम समाज के मित्र को और नाग के सिद्दी योके लिये काम आती है



पारी अप्सरा यक्षिणी की सिद्दियों में काम आती है




गुरु और सिस्य को जोड़ने और गुरु कृपा प्राप्त करने काम आती है


स्तंबन मरण क्रिया में उपयोग होता है

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